सीमा सुरक्षा बल की 60 बटालियन में तैनात गांव सिवाना के सिपाही सचिन का 18 जनवरी को हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। गुरुवार सुबह तीन बजे सचिन का पार्थिव शरीर बेरी थाना पहुंचा, जहां से पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव सिवाना ले जाने के लिए दूबलधन चौक पर लाया गया। यहां से मोटरसाइकिलों के काफिले में सचिन के पार्थिव शरीर को फूलों से सजी गाड़ी में गांव सिवाना तक लाया गया।
दूबलधन चौक से गांव सिवाना की 15 किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब एक घंटे से ज्यादा का समय लगा। सचिन की अंतिम यात्रा में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। बीएसएफ के जवानों ने हवाई फायर कर सचिन को अंतिम सलामी दी। सचिन के सात वर्षीय बेटे रिहांत ने मुखाग्नि दी। सचिन को बेरी हलका के विधायक डॉ. रघुबीर कादियान, मनीष नंबरदार दुजाना, सांसद अरविंद शर्मा के प्रेस सलाहकार राज पारीक, कादियान खाप के पधान बिल्लू पहलवान, पूर्व सरपंच भागमल, जयभगवान, रवि कादियान ने श्रद्धांजलि दी। नायब तहसीलदार रमेशचंद्र, एएसपी विक्रांत भूषण, बेरी थाना प्रभारी मनोज कुमार भी मौजूद रहे।
जानकारी के लिए सचिन सीलकोर बॉर्डर आउटपोस्ट मिजोरम के आइजोल में 60 बटालियन में तैनात थे। 18 जनवरी को रात 12 बजे हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया था। इस बारे में कंपनी कमांडर ने सचिन के चाचा राजेश को फोन पर मंगलवार को जानकारी दी थी। सचिन की शादी वर्ष 2013 में रवीना के साथ हुई थी। सचिन का बेटा रिहांत प्रथम कक्षा में पढ़ता है, जबकि उसकी छोटी बहन अंशिका (5) यूकेजी में पढ़ती है। सचिन 13 जून 2015 में बीएसएफ की वाटर विंग में भर्ती हुए थे।
नौ दिसंबर को छुट्टी लेकर घर आए थे सचिन
सचिन के बड़े भाई दीपक ने बताया कि सचिन नौ दिसंबर को छुट्टी लेकर घर पहुंचा था। 23 दिसंबर को ड्यूटी पर चला गया था। 18 जनवरी को कंपनी कमांडर ने चाचा को सूचना दी कि हृदय गति रुकने से सचिन का निधन हो गया है। सचिन के दादा केवल राम ने कहा कि हमें अपने लाडले पर गर्व है। भारत माता की सेवा करते हुए अपने प्राणों को त्याग दिया है।
सचिन की मां अनीता और बहन प्रियंका की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। मां का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। गांव सिवाना के पूर्व सरपंच भागमल ने बताया कि करीब आठ साल पहले गांव के ही सीआरपीएफ जवान संतराम झारखंड के दंतेवाड़ा में शहीद हो गए थे।