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नई दिल्ली। संयुक्त किसान संघर्ष समिति के साथ अब केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों के किसान भी लामबंद होने लगे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ इकट्ठा हुए किसानों को हरियाणा की खाप पंचायतों के बाद दिल्ली की टैक्सी यूनियन ने भी समर्थन देने का दावा किया है। किसानों के इस आंदोलन में धीरे-धीरे दूसरे संगठन भी एकजुट होने लगे हैं, ताकि केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बना सकें। किसान नेताओं ने सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बलों की तैनाती को अफसोस जनक बताते हुए कहा कि बुराड़ी ग्राउंड में मौजूद किसानों को जब तक छोड़ा नहीं जाता है, तब तक सरकार से बातचीत नहीं हो सकती है।
भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्हें खाप पंचायतों का भी समर्थन मिल गया है। 100 से अधिक खाप पंचायतों के अलावा दूसरे संगठन भी लगातार किसानों के इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। महाराष्ट्र से आए किसान नेता संदीप ने बताया कि उनके साथ 400 किसान आए हैं, जबकि अभी भी रास्ते में सैकड़ों किसान दिल्ली पहुंचने की तैयारी में हैं। ग्रामीण किसान मजदूर समिति के रंजीत सिंह राजू ने बताया कि सैकड़ों किसान राजस्थान से पहुंच चुके हैं और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। भाकियू के जगमोहन सिंह ने सरकार की ओर से किसानों की अनदेेखी पर चिंता जताते हुए कहा कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं।
‘आंदोलन को विफल करने की जारी है कोशिश’
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस आंदोलन को असफल करने की लगातार कोशिशें कर रही है, इसलिए पंजाब के किसानों को आगे दिखाया जा रहा है, ताकि इसे राष्ट्रव्यापी नहीं बताया जा सके। उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों की एकजुटता की सराहना करते हुए कहा कि अब कई राज्य जुड़ चुके हैं और सरकार के इस रवैये और झूठे वादों के विरोध में संगठनों, खाप के अलावा आम लोग भी किसानों के समर्थन में उतरने लगे हैं।
मकसद पूरा कर ही लौटेंगे किसान
किसान नेताओं ने कहा कि किसान हमेशा से शांतिपूर्ण तरीके से रहे हैं और आगे भी विरोध का यही स्वरूप रहेगा। सर्द रातों में अपने घरों को छोड़कर जिस मकसद से आए हैं, पूरा होने पर ही घर लौटेंगे।
‘लॉकडाउन में मुश्किलें बढ़ने पर सरकार ने साथ नहीं दिया’
दिल्ली टैक्सी यूनियनों की संयुक्त समिति (एआईएसओए) के प्रेसिडेंट बलवंत सिंह भुल्लर ने भी किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी भी मुश्किलें लॉकडाउन के दौरान काफी बढ़ गईं, लेकिन सरकार ने अब तक उनका साथ नहीं दिया। देश के अन्नदाता अब सड़कों पर हैं, इसलिए समर्थन में सभी टैक्सी, ऑटो सहित दूसरे वाहन चालकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की।
नई दिल्ली। संयुक्त किसान संघर्ष समिति के साथ अब केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों के किसान भी लामबंद होने लगे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ इकट्ठा हुए किसानों को हरियाणा की खाप पंचायतों के बाद दिल्ली की टैक्सी यूनियन ने भी समर्थन देने का दावा किया है। किसानों के इस आंदोलन में धीरे-धीरे दूसरे संगठन भी एकजुट होने लगे हैं, ताकि केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बना सकें। किसान नेताओं ने सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बलों की तैनाती को अफसोस जनक बताते हुए कहा कि बुराड़ी ग्राउंड में मौजूद किसानों को जब तक छोड़ा नहीं जाता है, तब तक सरकार से बातचीत नहीं हो सकती है।
भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्हें खाप पंचायतों का भी समर्थन मिल गया है। 100 से अधिक खाप पंचायतों के अलावा दूसरे संगठन भी लगातार किसानों के इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। महाराष्ट्र से आए किसान नेता संदीप ने बताया कि उनके साथ 400 किसान आए हैं, जबकि अभी भी रास्ते में सैकड़ों किसान दिल्ली पहुंचने की तैयारी में हैं। ग्रामीण किसान मजदूर समिति के रंजीत सिंह राजू ने बताया कि सैकड़ों किसान राजस्थान से पहुंच चुके हैं और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। भाकियू के जगमोहन सिंह ने सरकार की ओर से किसानों की अनदेेखी पर चिंता जताते हुए कहा कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं।
‘आंदोलन को विफल करने की जारी है कोशिश’
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस आंदोलन को असफल करने की लगातार कोशिशें कर रही है, इसलिए पंजाब के किसानों को आगे दिखाया जा रहा है, ताकि इसे राष्ट्रव्यापी नहीं बताया जा सके। उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों की एकजुटता की सराहना करते हुए कहा कि अब कई राज्य जुड़ चुके हैं और सरकार के इस रवैये और झूठे वादों के विरोध में संगठनों, खाप के अलावा आम लोग भी किसानों के समर्थन में उतरने लगे हैं।
मकसद पूरा कर ही लौटेंगे किसान
किसान नेताओं ने कहा कि किसान हमेशा से शांतिपूर्ण तरीके से रहे हैं और आगे भी विरोध का यही स्वरूप रहेगा। सर्द रातों में अपने घरों को छोड़कर जिस मकसद से आए हैं, पूरा होने पर ही घर लौटेंगे।
‘लॉकडाउन में मुश्किलें बढ़ने पर सरकार ने साथ नहीं दिया’
दिल्ली टैक्सी यूनियनों की संयुक्त समिति (एआईएसओए) के प्रेसिडेंट बलवंत सिंह भुल्लर ने भी किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी भी मुश्किलें लॉकडाउन के दौरान काफी बढ़ गईं, लेकिन सरकार ने अब तक उनका साथ नहीं दिया। देश के अन्नदाता अब सड़कों पर हैं, इसलिए समर्थन में सभी टैक्सी, ऑटो सहित दूसरे वाहन चालकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की।