न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 01 Dec 2020 01:38 AM IST
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आंदोलनकारी किसानों की सीमाओं पर मौजूदगी और बॉर्डर सील किए जाने से बाहरी दिल्ली की परिवहन व्यवस्था चरमराती हुई नजर आई। स्थानीय बसों का आवागमन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। बॉर्डर तक पहुंचने के लिए लोगों को मेट्रो, बस, ऑटो, टैक्सी के बाद भी कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। इससे खासकर उन्हें अधिक दिक्कत हो रही है, जिनके साथ सामान अधिक है। शादियों का सीजन होने की वजह से एक से दूसरे शहर की ओर रुख करने वालों को अपने सामान के साथ गंतव्य तक पहुंचने में काफी मशक्कतें पेश आईं। दूसरा कोई वैकल्पिक इंतजाम न होने की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सिंघु बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले बायपास की ओर से आने के लिए दो बसें तो खड़ी थी, लेकिन बताया गया कि आधे घंटे बाद जाएगी। बाहर जब इंतजार करने वालों की संख्या काफी अधिक हो गई तो कुछ लोगों ने ऑटो और टैक्स का सहारा लिया। कुछ लोग बचे तो उन्हें बाद में गंतव्य तक जाने के लिए बस में सीट मिली तो आगे बढ़ सके।
आंदोलन की वजह से दिल्ली से आगे किसी अन्य शहर के लिए जाने वालों को मुश्किलें पेश आ रही हैं। खास तौर पर हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोगों को। जिन्हें बेहद जरूरी काम है तो अलग अलग रास्तों से टैक्सी से किसी तरह पहुंच पा रहे हैं, लेकिन इसपर उन्हें 10 गुना तक खर्च करना पड़ रहा है। शाम के वक्त आउटर रिंग रोड पर भी शादियों की वजह से वाहन चालकों को जाम का सामना करना पड़ा।
ऑटो में यात्रियों की भीड़
बॉर्डर से कोंडली या दूसरे गांवों के लिए जाने वालों को भी काफी मुश्किलें पेश आईं। ऑटो में ठूस ठूसकर भरने की वजह से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी, लेकिन मजबूरी में किसी तरह सफर करना पड़ा।
आंदोलनकारी किसानों की सीमाओं पर मौजूदगी और बॉर्डर सील किए जाने से बाहरी दिल्ली की परिवहन व्यवस्था चरमराती हुई नजर आई। स्थानीय बसों का आवागमन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। बॉर्डर तक पहुंचने के लिए लोगों को मेट्रो, बस, ऑटो, टैक्सी के बाद भी कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। इससे खासकर उन्हें अधिक दिक्कत हो रही है, जिनके साथ सामान अधिक है। शादियों का सीजन होने की वजह से एक से दूसरे शहर की ओर रुख करने वालों को अपने सामान के साथ गंतव्य तक पहुंचने में काफी मशक्कतें पेश आईं। दूसरा कोई वैकल्पिक इंतजाम न होने की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सिंघु बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले बायपास की ओर से आने के लिए दो बसें तो खड़ी थी, लेकिन बताया गया कि आधे घंटे बाद जाएगी। बाहर जब इंतजार करने वालों की संख्या काफी अधिक हो गई तो कुछ लोगों ने ऑटो और टैक्स का सहारा लिया। कुछ लोग बचे तो उन्हें बाद में गंतव्य तक जाने के लिए बस में सीट मिली तो आगे बढ़ सके।
आंदोलन की वजह से दिल्ली से आगे किसी अन्य शहर के लिए जाने वालों को मुश्किलें पेश आ रही हैं। खास तौर पर हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोगों को। जिन्हें बेहद जरूरी काम है तो अलग अलग रास्तों से टैक्सी से किसी तरह पहुंच पा रहे हैं, लेकिन इसपर उन्हें 10 गुना तक खर्च करना पड़ रहा है। शाम के वक्त आउटर रिंग रोड पर भी शादियों की वजह से वाहन चालकों को जाम का सामना करना पड़ा।
ऑटो में यात्रियों की भीड़
बॉर्डर से कोंडली या दूसरे गांवों के लिए जाने वालों को भी काफी मुश्किलें पेश आईं। ऑटो में ठूस ठूसकर भरने की वजह से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी, लेकिन मजबूरी में किसी तरह सफर करना पड़ा।