न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 01 Dec 2020 01:57 AM IST
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सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों का दावा है कि हरियाणा की खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। खाप पंचायतें दिल्ली सीमा की तरफ कूच कर रही हैं। मंगलवार तक इनके पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसके बाद आंदोलन का विस्तार व मजबूती मिलेगी। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तो आंदोलन और भी तेज होगा।
सिंघु बॉर्डर पर सोमवा दोपहर बाद तक चली बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि सरकार ने हरियाणा में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए कई मुकदमे दर्ज किए हैं। सिर्फ बैरिकेड तोड़ने पर किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ 307 तक के मामले दर्ज हुए हैं। इस वक्त हरियाणा में आंदोलन चरम पर पहुंच रहा है। 100 से ज्यादा खाप पंचायतों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। खाप पंचायतें दिल्ली कूच कर रही हैं। इनके सीमा पर पहुंचते ही आंदोलन मजबूत होगा। जब तक मांगे नहीं मानी जाती आंदोलन जारी रहेगा। अगर मांगे नहीं मानी गई तो इससे भी कड़ा कदम उठाना पड़ेगा।
दूसरी तरफ योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन के बारे में अलग-अलग स्रोतों से पांच झूठ फैलाए जा रहे हैं। यह भी पूरी तरह गलत हैं। योगेंद्र यादव ने सिलसिलेवार ढंग ने इनका खुलासा करते हुए कहा कि आज हर किसान का बच्चा जान रहा है कि आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
किसान नेताओं का कहना है कि रविवार को उन्होने केंद्र सरकार का सशर्त बातचीत करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया था। इसके बाद पता चला है कि गृहमंत्री की कई संगठनों से बातचीत हुई है। नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा के मुंह में राम-राम व बगल मे छुरी है। यह पंजाब का सघर्ष नहीं है, पूरे देश का संघर्ष है। आंदोलन खेती से जुड़े हर व्यक्ति को सुरक्षित रखने के लिए है।
1.इस आंदोलन के बारे में देश में ये झूठ फैलाया जा रहा है कि यह बिचौलियों का आंदोलन है किसानों का नहीं। आप साफ देख सकते हैं जहां तक नजर जाती है यहां कितने किसान, कितने बिचौलिए और कितने आढ़तिए हैं। यह झूठ इसलिए फैलाया जा रहा है ताकि आंदोलन को कमजोर किया जा सके।
2. देश में दूसरा झूठ ये फैलाया जा रहा है कि बेचारे किसानों को तो कुछ पता ही नहीं है उन्हें बरगलाया जा रहा है। अब पंजाब के बच्चे-बच्चे को पता है कि कृषि कानूनों की क्या सच्चाई है। अब इस तरह की बातें बंद होनी चाहिए।
3. सिर्फ पंजाब के किसानों का आंदोलन है। लेकिन ये पूरे देश का आंदोलन है। पूरे हरियाणा में पंचायतें हो रही हैं। पंजाब के किसान इस लड़ाई में अगुवा हैं लेकिन सब जुटे हुए हैं। यूपी गेट पर भी उत्तराखंड और यूपी के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
4. इनके नेता का पता नहीं है, कौन नेतृत्व कर रहा कुछ पता ही नहीं है। कहां से आ गई ये भीड़ किसी को पता नहीं। कोई लीडरशिप नहीं है ये बात गलत है। राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा एक महीने पहले बना जिसकी लीडरशिप में ये आंदोलन चल रहा है, जिसमें अनेकों संगठन जुड़े हैं। लीडरशिप है, कोई ये न कहे कि अराजक आंदोलन है। देश के तमाम किसान संगठन इससे जुड़े हैं।
5. राजनीतिक पार्टियों की तरफ से आंदोलन हो रहा है। ये गलत है। इन्हीं किसानों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भी मोर्चा खोला था और अब ये मोदयी सरकार के खिलाफ हैं। इसलिए ये कहना कि ये किसी राजनीतिक पार्टी का आंदोलन है गलत है।
सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों का दावा है कि हरियाणा की खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। खाप पंचायतें दिल्ली सीमा की तरफ कूच कर रही हैं। मंगलवार तक इनके पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसके बाद आंदोलन का विस्तार व मजबूती मिलेगी। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तो आंदोलन और भी तेज होगा।
सिंघु बॉर्डर पर सोमवा दोपहर बाद तक चली बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि सरकार ने हरियाणा में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए कई मुकदमे दर्ज किए हैं। सिर्फ बैरिकेड तोड़ने पर किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ 307 तक के मामले दर्ज हुए हैं। इस वक्त हरियाणा में आंदोलन चरम पर पहुंच रहा है। 100 से ज्यादा खाप पंचायतों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। खाप पंचायतें दिल्ली कूच कर रही हैं। इनके सीमा पर पहुंचते ही आंदोलन मजबूत होगा। जब तक मांगे नहीं मानी जाती आंदोलन जारी रहेगा। अगर मांगे नहीं मानी गई तो इससे भी कड़ा कदम उठाना पड़ेगा।
दूसरी तरफ योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन के बारे में अलग-अलग स्रोतों से पांच झूठ फैलाए जा रहे हैं। यह भी पूरी तरह गलत हैं। योगेंद्र यादव ने सिलसिलेवार ढंग ने इनका खुलासा करते हुए कहा कि आज हर किसान का बच्चा जान रहा है कि आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
किसान नेताओं का कहना है कि रविवार को उन्होने केंद्र सरकार का सशर्त बातचीत करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया था। इसके बाद पता चला है कि गृहमंत्री की कई संगठनों से बातचीत हुई है। नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा के मुंह में राम-राम व बगल मे छुरी है। यह पंजाब का सघर्ष नहीं है, पूरे देश का संघर्ष है। आंदोलन खेती से जुड़े हर व्यक्ति को सुरक्षित रखने के लिए है।
योगेंद्र यादव ने गिनाए पांच झूठ:
1.इस आंदोलन के बारे में देश में ये झूठ फैलाया जा रहा है कि यह बिचौलियों का आंदोलन है किसानों का नहीं। आप साफ देख सकते हैं जहां तक नजर जाती है यहां कितने किसान, कितने बिचौलिए और कितने आढ़तिए हैं। यह झूठ इसलिए फैलाया जा रहा है ताकि आंदोलन को कमजोर किया जा सके।
2. देश में दूसरा झूठ ये फैलाया जा रहा है कि बेचारे किसानों को तो कुछ पता ही नहीं है उन्हें बरगलाया जा रहा है। अब पंजाब के बच्चे-बच्चे को पता है कि कृषि कानूनों की क्या सच्चाई है। अब इस तरह की बातें बंद होनी चाहिए।
3. सिर्फ पंजाब के किसानों का आंदोलन है। लेकिन ये पूरे देश का आंदोलन है। पूरे हरियाणा में पंचायतें हो रही हैं। पंजाब के किसान इस लड़ाई में अगुवा हैं लेकिन सब जुटे हुए हैं। यूपी गेट पर भी उत्तराखंड और यूपी के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
4. इनके नेता का पता नहीं है, कौन नेतृत्व कर रहा कुछ पता ही नहीं है। कहां से आ गई ये भीड़ किसी को पता नहीं। कोई लीडरशिप नहीं है ये बात गलत है। राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा एक महीने पहले बना जिसकी लीडरशिप में ये आंदोलन चल रहा है, जिसमें अनेकों संगठन जुड़े हैं। लीडरशिप है, कोई ये न कहे कि अराजक आंदोलन है। देश के तमाम किसान संगठन इससे जुड़े हैं।
5. राजनीतिक पार्टियों की तरफ से आंदोलन हो रहा है। ये गलत है। इन्हीं किसानों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भी मोर्चा खोला था और अब ये मोदयी सरकार के खिलाफ हैं। इसलिए ये कहना कि ये किसी राजनीतिक पार्टी का आंदोलन है गलत है।