न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 01 Dec 2020 01:49 AM IST
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संयुक्त किसान संघर्ष समिति के साथ अब केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों के किसान भी लामबंद होने लगे हैं। कृषि कानूनों की खिलाफ इकट्ठा हुए किसानों को हरियाणा की खाप पंचायत के बाद दिल्ली की टैक्सी यूनियन ने भी समर्थन का दावा किया है। किसानों के इस आंदोलन में धीरे धीरे दूसरे संगठन भी एकजुट होने लगे हैं ताकि केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बना सकें। किसान नेताओं ने सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बलों की तैनाती को अफसोसजनक बताते हुए कहा कि बुराड़ी ग्राउंड में मौजूद किसानों को जब तक छोड़ा नहीं जाता है सरकार से बातचीत नहीं हो सकती है।
भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के गुरनाम सिंह चढ़ूणी ने कहा कि उन्हें खाप पंचायतों का भी समर्थन मिल गया है। 100 से अधिक खाप पंचायतों के अलावा दूसरे संगठन भी लगातार किसानों के इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। महाराष्ट्र से आए किसान नेता संदीप ने बताया कि उनके साथ 400 किसान आए हैं जबकि अभी भी रास्ते में सैकड़ों किसान अभी भी दिल्ली पहुंचने की तैयारी में हैं। ग्रामीण किसान मजदूर समिति रंजीत सिंह राजू ने बताया कि सैकड़ों किसान राजस्थान से पहुंच चुके हैँ और यह सिलिसला आगे भी जारी रहेगा। भाकियू के जगमोहन सिंह ने कहा कि भी सरकार की ओर से किसानों की अनदेखी पर चिंता जताते हुए कहा कि अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं।
आंदोलन को विफल करने की जारी है कोशिश
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस आंदोलन को असफल करने की लगातार कोशिशें कर रही है। इसलिए पंजाब के किसानों को आगे दिखाया जा रहा है ताकि इसे राष्ट्रव्यापी नहीं बताया जा सके। उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों की एकजुटता की सराहना करते हुए कहा कि अब कई राज्य जुड़ चुके हैं और सरकार के इस रवैये और झूठे वादों के विरोध में संगठनों, खाप के अलावा आम लोग भी किसानों के समर्थन में उतरने लगे हैं।
मकसद पूरा कर ही लौटेंगे किसान
इस दौरान किसान नेताओं ने अपील करते हुए कहा कि किसान हमेशा से शांतिपूर्ण तरीके से रहे हैं और आगे भी विरोध का यही स्वरूप रहेगा। सरकार कैसे बर्ताव करें, सर्द रातों पर अपने घरों को छोड़कर जिस मकसद से आए हैं, पूरा होने पर ही घर लौटेंगे।
टैक्सी चालकों से आंदोलन में शामिल होने की अपील
टैक्सी यूनियन के बलवंत सिंह भुल्लर ने भी किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी भी मुश्किलें लॉकडाउन के दौरान काफी बढ़ गई हैं। लेकिन सरकार ने अब तक उनका साथ नहीं दिया। किसान देश के अन्नदाता अब सड़कों पर हैं समर्थन में सभी टैक्सी, ऑटो सहित दूसरे वाहन चालकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की।
संयुक्त किसान संघर्ष समिति के साथ अब केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों के किसान भी लामबंद होने लगे हैं। कृषि कानूनों की खिलाफ इकट्ठा हुए किसानों को हरियाणा की खाप पंचायत के बाद दिल्ली की टैक्सी यूनियन ने भी समर्थन का दावा किया है। किसानों के इस आंदोलन में धीरे धीरे दूसरे संगठन भी एकजुट होने लगे हैं ताकि केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बना सकें। किसान नेताओं ने सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बलों की तैनाती को अफसोसजनक बताते हुए कहा कि बुराड़ी ग्राउंड में मौजूद किसानों को जब तक छोड़ा नहीं जाता है सरकार से बातचीत नहीं हो सकती है।
भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के गुरनाम सिंह चढ़ूणी ने कहा कि उन्हें खाप पंचायतों का भी समर्थन मिल गया है। 100 से अधिक खाप पंचायतों के अलावा दूसरे संगठन भी लगातार किसानों के इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। महाराष्ट्र से आए किसान नेता संदीप ने बताया कि उनके साथ 400 किसान आए हैं जबकि अभी भी रास्ते में सैकड़ों किसान अभी भी दिल्ली पहुंचने की तैयारी में हैं। ग्रामीण किसान मजदूर समिति रंजीत सिंह राजू ने बताया कि सैकड़ों किसान राजस्थान से पहुंच चुके हैँ और यह सिलिसला आगे भी जारी रहेगा। भाकियू के जगमोहन सिंह ने कहा कि भी सरकार की ओर से किसानों की अनदेखी पर चिंता जताते हुए कहा कि अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं।
आंदोलन को विफल करने की जारी है कोशिश
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार इस आंदोलन को असफल करने की लगातार कोशिशें कर रही है। इसलिए पंजाब के किसानों को आगे दिखाया जा रहा है ताकि इसे राष्ट्रव्यापी नहीं बताया जा सके। उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों की एकजुटता की सराहना करते हुए कहा कि अब कई राज्य जुड़ चुके हैं और सरकार के इस रवैये और झूठे वादों के विरोध में संगठनों, खाप के अलावा आम लोग भी किसानों के समर्थन में उतरने लगे हैं।
मकसद पूरा कर ही लौटेंगे किसान
इस दौरान किसान नेताओं ने अपील करते हुए कहा कि किसान हमेशा से शांतिपूर्ण तरीके से रहे हैं और आगे भी विरोध का यही स्वरूप रहेगा। सरकार कैसे बर्ताव करें, सर्द रातों पर अपने घरों को छोड़कर जिस मकसद से आए हैं, पूरा होने पर ही घर लौटेंगे।
टैक्सी चालकों से आंदोलन में शामिल होने की अपील
टैक्सी यूनियन के बलवंत सिंह भुल्लर ने भी किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी भी मुश्किलें लॉकडाउन के दौरान काफी बढ़ गई हैं। लेकिन सरकार ने अब तक उनका साथ नहीं दिया। किसान देश के अन्नदाता अब सड़कों पर हैं समर्थन में सभी टैक्सी, ऑटो सहित दूसरे वाहन चालकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की।