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कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघु बार्डर पर डेरा जमाए बैठे किसानों की केंद्र सरकार के साथ 3 दिसंबर को प्रस्तावित बैठक खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र की तरफ से उन्हें कोई लिखित प्रस्ताव नहीं मिला है। जब तक कोई लिखित प्रस्ताव नहीं आएगा, बैठक होना संभव नहीं है
पिछले हफ्ते से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल-2020 और पराली जलाने पर एक करोड़ रुपये जुर्माने के प्रावधान रद्द करने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं।
सोमवार शाम दिल्ली के सिंघु बार्डर पर किसान संगठनों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई। इसमें संगठनों ने कहा कि उन्हें 3 दिसंबर को बैठक के बारे में केंद्र सरकार की तरफ से कोई लिखित प्रस्ताव नहीं मिला है और जब तक कोई लिखित प्रस्ताव नहीं आएगा, बैठक होना संभव नहीं है।
किसान संगठनों ने यह भी साफ किया कि केंद्र के साथ उनकी कोई भी बात बिना शर्त ही होगी और वे अपनी मांगों पर केंद्र सरकार का स्पष्ट जवाब चाहते हैं। किसान संगठनों ने साफ कर दिया कि 3 दिसंबर को केंद्र सरकार के साथ कोई बैठक नहीं होने जा रही और 1 दिसंबर को बैठक के लिए भी कोई प्रस्ताव किसानों को नहीं मिला है।
25 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से किसान संगठनों को 3 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाने का एलान किया गया था। 26 और 27 नवंबर के दिल्ली चलो आंदोलन के लिए दिल्ली पहुंचे किसानों को केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा 1 दिसंबर को सशर्त बातचीत के लिए बुलाने का एलान किया था।
इसे किसान संगठनों ने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि किसी शर्त के साथ वे सरकार से बातचीत नहीं करेंगे। केंद्र सरकार बिना शर्त बातचीत के लिए आगे आए। इसके बाद सारी उम्मीदें 3 दिसंबर की बैठक पर टिक गई थीं, लेकिन सोमवार को किसान संगठनों ने साफ कर दिया कि केंद्र की तरफ से न तो उन्हें बातचीत का कोई प्रस्ताव मिला है और न ही निमंत्रण।
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघु बार्डर पर डेरा जमाए बैठे किसानों की केंद्र सरकार के साथ 3 दिसंबर को प्रस्तावित बैठक खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र की तरफ से उन्हें कोई लिखित प्रस्ताव नहीं मिला है। जब तक कोई लिखित प्रस्ताव नहीं आएगा, बैठक होना संभव नहीं है
पिछले हफ्ते से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल-2020 और पराली जलाने पर एक करोड़ रुपये जुर्माने के प्रावधान रद्द करने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं।
सोमवार शाम दिल्ली के सिंघु बार्डर पर किसान संगठनों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई। इसमें संगठनों ने कहा कि उन्हें 3 दिसंबर को बैठक के बारे में केंद्र सरकार की तरफ से कोई लिखित प्रस्ताव नहीं मिला है और जब तक कोई लिखित प्रस्ताव नहीं आएगा, बैठक होना संभव नहीं है।
किसान संगठनों ने यह भी साफ किया कि केंद्र के साथ उनकी कोई भी बात बिना शर्त ही होगी और वे अपनी मांगों पर केंद्र सरकार का स्पष्ट जवाब चाहते हैं। किसान संगठनों ने साफ कर दिया कि 3 दिसंबर को केंद्र सरकार के साथ कोई बैठक नहीं होने जा रही और 1 दिसंबर को बैठक के लिए भी कोई प्रस्ताव किसानों को नहीं मिला है।
25 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से किसान संगठनों को 3 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाने का एलान किया गया था। 26 और 27 नवंबर के दिल्ली चलो आंदोलन के लिए दिल्ली पहुंचे किसानों को केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा 1 दिसंबर को सशर्त बातचीत के लिए बुलाने का एलान किया था।
इसे किसान संगठनों ने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि किसी शर्त के साथ वे सरकार से बातचीत नहीं करेंगे। केंद्र सरकार बिना शर्त बातचीत के लिए आगे आए। इसके बाद सारी उम्मीदें 3 दिसंबर की बैठक पर टिक गई थीं, लेकिन सोमवार को किसान संगठनों ने साफ कर दिया कि केंद्र की तरफ से न तो उन्हें बातचीत का कोई प्रस्ताव मिला है और न ही निमंत्रण।