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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि भूमि का मुआवजा बढ़ा है तो इसके बदले मिलने वाले प्लॉट की बढ़ी हुई कीमत को चुनौती नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने कहा कि जब मुआवजा बढ़ने से भूमि मालिक खुश हैं तो प्लॉट के दाम बढ़ने पर वह आपत्ति कैसे जता सकते हैं।
हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अधिगृहित की गई जमीन के बदले मिलने वाले विस्थापित कोटे के प्लॉटों की बढ़ी हुई कीमत को भूमि मालिकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं राजेंद्र कुमार, संजीव कुमार और धर्मवीर ने बताया था कि उन्होंने विस्थापित कोटे के प्लॉट के लिए 2013 में आवेदन किया था। आवेदन के अनुरूप उन्हें 1800 रुपये प्रति वर्ग मीटर के दाम पर भुगतान करने को कहा गया।
इस बीच अधिगृहित की गई भूमि के मुआवजे को बढ़ाने के लिए दाखिल भूमि मालिकों की याचिकाएं मंजूर हो गई और मुआवजा राशि बहुत अधिक बढ़ गई। अक्तूबर 2020 में सरकार की ओर से उन्हें एक नोटिस भेजते हुए प्लॉट के लिए भी अब बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने को कहा गया। प्लॉट का दाम अब 5350 रुपये प्रति वर्ग मीटर के अनुसार तय किया गया।
याची ने कहा कि अब अचानक सात साल बाद इस प्रकार राशि को इतना अधिक बढ़ा कर कैसे इस राशि की वसूली की जा सकती है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि जब मुआवजा बढ़ गया है तो प्लॉट के लिए बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने में याचिकाकर्ताओं को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि भूमि का मुआवजा बढ़ा है तो इसके बदले मिलने वाले प्लॉट की बढ़ी हुई कीमत को चुनौती नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने कहा कि जब मुआवजा बढ़ने से भूमि मालिक खुश हैं तो प्लॉट के दाम बढ़ने पर वह आपत्ति कैसे जता सकते हैं।
हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अधिगृहित की गई जमीन के बदले मिलने वाले विस्थापित कोटे के प्लॉटों की बढ़ी हुई कीमत को भूमि मालिकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं राजेंद्र कुमार, संजीव कुमार और धर्मवीर ने बताया था कि उन्होंने विस्थापित कोटे के प्लॉट के लिए 2013 में आवेदन किया था। आवेदन के अनुरूप उन्हें 1800 रुपये प्रति वर्ग मीटर के दाम पर भुगतान करने को कहा गया।
इस बीच अधिगृहित की गई भूमि के मुआवजे को बढ़ाने के लिए दाखिल भूमि मालिकों की याचिकाएं मंजूर हो गई और मुआवजा राशि बहुत अधिक बढ़ गई। अक्तूबर 2020 में सरकार की ओर से उन्हें एक नोटिस भेजते हुए प्लॉट के लिए भी अब बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने को कहा गया। प्लॉट का दाम अब 5350 रुपये प्रति वर्ग मीटर के अनुसार तय किया गया।
याची ने कहा कि अब अचानक सात साल बाद इस प्रकार राशि को इतना अधिक बढ़ा कर कैसे इस राशि की वसूली की जा सकती है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि जब मुआवजा बढ़ गया है तो प्लॉट के लिए बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने में याचिकाकर्ताओं को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी।