न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Tue, 01 Dec 2020 02:01 AM IST
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फेसबुक पर बाबा भीमराव आंबेडकर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ किसी वर्ग या लिंग पर आपत्तिजनक टिप्पणी का अधिकार नहीं देता है। सविता ने हिसार की हांसी पुलिस को शिकायत देते हुए बताया था कि उसने बाबा भीमराव आंबेडकर की फोटो फेसबुक पर पोस्ट की थी।
फेसबुक पर पोस्ट की गई इस फोटो पर विजेंदर नाम के व्यक्ति ने कई बार आपत्तिजनक टिप्पणी की। इसके साथ ही उसने एक विशेष वर्ग तथा एक जाति विशेष की महिलाओं को लेकर भी अभद्र तथा आपत्तिजनक टिप्पणियां की। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने 13 अगस्त, 2020 को एफआईआर दर्जकर 24 सितंबर को याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया।
अभी याचिकाकर्ता ने हिरासत में होने के चलते उसे नियमित जमानत देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि शिकायत में दिए गए आरोप किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले नहीं हैं तथा यह एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके साथ याची ने कहा था कि उसने सिर्फ एक पोस्ट करके टिप्पणी की थी। इस मामले में पुलिस की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने बहुत सारी टिप्पणियां की हैं।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की पोस्ट देखने के बाद कहा कि प्राथमिक तौर पर इस मामले में याचिकाकर्ता को वर्तमान में नियमित जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की टिप्पणियां आपत्तिजनक प्रतीत होती हैं। इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
फेसबुक पर बाबा भीमराव आंबेडकर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ किसी वर्ग या लिंग पर आपत्तिजनक टिप्पणी का अधिकार नहीं देता है। सविता ने हिसार की हांसी पुलिस को शिकायत देते हुए बताया था कि उसने बाबा भीमराव आंबेडकर की फोटो फेसबुक पर पोस्ट की थी।
फेसबुक पर पोस्ट की गई इस फोटो पर विजेंदर नाम के व्यक्ति ने कई बार आपत्तिजनक टिप्पणी की। इसके साथ ही उसने एक विशेष वर्ग तथा एक जाति विशेष की महिलाओं को लेकर भी अभद्र तथा आपत्तिजनक टिप्पणियां की। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने 13 अगस्त, 2020 को एफआईआर दर्जकर 24 सितंबर को याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया।
अभी याचिकाकर्ता ने हिरासत में होने के चलते उसे नियमित जमानत देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि शिकायत में दिए गए आरोप किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले नहीं हैं तथा यह एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके साथ याची ने कहा था कि उसने सिर्फ एक पोस्ट करके टिप्पणी की थी। इस मामले में पुलिस की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने बहुत सारी टिप्पणियां की हैं।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की पोस्ट देखने के बाद कहा कि प्राथमिक तौर पर इस मामले में याचिकाकर्ता को वर्तमान में नियमित जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की टिप्पणियां आपत्तिजनक प्रतीत होती हैं। इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया।