न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Mon, 30 Nov 2020 07:55 PM IST
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इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला ने कहा कि कृषि प्रधान देश में कृषि कानूनों को किसानों की राय लेकर बनाना चाहिए था। बहुत बड़ी विडंबना है कि वो लोग कृषि कानून बना रहे हैं, जिनका खेती से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। जनता को अपने मन की बात सुनाने के बजाय प्रधानमंत्री को जन की बात सुननी चाहिए ताकि देश की जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने कभी इन कृषि कानूनों की मांग की ही नहीं, उन पर जबरदस्ती इन कानूनों को थोपना कहां का इंसाफ है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि कृषि सुधारों ने किसानों को अधिकार और अवसर दिए हैं, अगर ये सच होता तो आज पूरे देश के किसान इनके खिलाफ सड़कों पर आंदोलन न कर रहे होते।
इनेलो नेता ने किसान संगठनों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री के सशर्त प्रस्ताव को ठुकराने का समर्थन करते हुए कहा कि किसानों की मांग मानने के बजाय अपनी शर्तों को लगाना गलत है। केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए किसान संगठनों में फूट डालने की कोशिश कर रही है। गृह मंत्री ने जो निमंत्रण दिया है, वो केवल पंजाब के किसान संगठनों के नाम है, जबकि यह आंदोलन पूरे देश के किसानों का है, जिनका कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री को पंजाब के मुख्यमंत्री से उलझने के बजाय तुरंत केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए और किसानों की मांगों को मनवाकर समस्या का हल निकलवाना चाहिए। सरकार किसानों पर दर्ज मुकदमों को तुरंत प्रभाव से खारिज करे।
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला ने कहा कि कृषि प्रधान देश में कृषि कानूनों को किसानों की राय लेकर बनाना चाहिए था। बहुत बड़ी विडंबना है कि वो लोग कृषि कानून बना रहे हैं, जिनका खेती से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। जनता को अपने मन की बात सुनाने के बजाय प्रधानमंत्री को जन की बात सुननी चाहिए ताकि देश की जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने कभी इन कृषि कानूनों की मांग की ही नहीं, उन पर जबरदस्ती इन कानूनों को थोपना कहां का इंसाफ है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि कृषि सुधारों ने किसानों को अधिकार और अवसर दिए हैं, अगर ये सच होता तो आज पूरे देश के किसान इनके खिलाफ सड़कों पर आंदोलन न कर रहे होते।
इनेलो नेता ने किसान संगठनों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री के सशर्त प्रस्ताव को ठुकराने का समर्थन करते हुए कहा कि किसानों की मांग मानने के बजाय अपनी शर्तों को लगाना गलत है। केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए किसान संगठनों में फूट डालने की कोशिश कर रही है। गृह मंत्री ने जो निमंत्रण दिया है, वो केवल पंजाब के किसान संगठनों के नाम है, जबकि यह आंदोलन पूरे देश के किसानों का है, जिनका कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री को पंजाब के मुख्यमंत्री से उलझने के बजाय तुरंत केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए और किसानों की मांगों को मनवाकर समस्या का हल निकलवाना चाहिए। सरकार किसानों पर दर्ज मुकदमों को तुरंत प्रभाव से खारिज करे।