पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
आरामपरस्त जीवनशैली का खामियाजा अब चंडीगढ़ और मोहाली के लोग भुगतने लगे हैं। हाल ही में पीजीआई व मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल की ओर से जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री के सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कामकाजी महिलाओं के मुकाबले गृहिणियों में कैंसर का खतरा ज्यादा है। साल 2015-16 में दर्ज किए महिलाओं के कुल मामलों में 78 फीसदी गृहिणियां कैंसर से पीड़ित थीं जबकि इनके मुकाबले कामकाजी महिलाओं में खतरा कम दिखा है।
चंडीगढ़ में कुल 893 महिलाएं कैंसर पीड़ित थीं। इनमें से 78.5 फीसदी गृहिणियां थीं। इसी तरह मोहाली में कुल 902 महिलाएं कैंसर पीड़ित थीं, जिनमें 79 फीसदी गृहिणियां हैं। इनमें कैंसर क्यों बढ़ा है? यह तो मेडिकल स्टडी के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि कामकाजी महिलाओं के मुकाबले गृहिणियों के बीच जागरूकता थोड़ी देरी से पहुंचती है।
पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर जेएस ठाकुर का कहना है कि कैंसर के कई कारण होते हैं। इनमें से प्रमुख कारण व्यायाम नहीं करना और खान-पान की गलत आदत हो सकती है। तनाव भी इनमें से एक कारण हो सकता है। चंडीगढ़ में हाईपरटेंशन की दर भी अधिक है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015-16 में चंडीगढ़ के कुल 907 पुरुषों में कैंसर पाया गया। इनमें से 384 यानी करीब 42.3 फीसदी सरकारी कर्मचारी हैं जबकि 12.4 फीसदी सरकारी कामकाजी महिलाएं हैं। मोहाली में भी दूसरे वर्गों के मुकाबले सरकारी मुलाजिमों की संख्या ज्यादा पाई गई है।
मोहाली के 31 फीसदी पुरुष सरकारी कर्मचारी कैंसर से पीड़ित दर्ज किए गए। इस संबंध में प्रो. जेएस ठाकुर का कहना है कि ऐसा कोई वर्ग नहीं, जिसमें कैंसर न फैल रहा हो। किसी में ज्यादा हो सकता है तो किसी में कम। यह नहीं कहा जा सकता है कि सिर्फ एक वर्ग के लोगों में कैंसर हो रहा है। इसके लिए यूटी प्रशासन को एक समग्र योजना बनाने की जरूरत है, ताकि लोगों को कैंसर से निजात मिल सके।
सेक्टर 38 वेस्ट व मनीमाजरा में सबसे ज्यादा केस
साल 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक मनीमाजरा/इंदिरा कालोनी में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज दर्ज किए गए। यहां पर 155 केस आए जबकि 65 लोगों की मौत हुई। यही हालात सेक्टर 38 व वेस्ट में 106 केस दर्ज किए गए, जबकि 43 लोगों की मौत हुई। मौलीजागरां में कैंसर के 77 केस रिकॉर्ड हुए, जबकि 38 लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञ का कहना है कि यहां की आबादी अन्य इलाकों के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में यहां मरीजों की संख्या भी ज्यादा दर्ज की गई है।
यह रिपोर्ट एक तस्वीर दिखाती है, जो भयावह है। चंडीगढ़ में कैंसर के केस बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। कैंसर की जल्दी पहचान ही इसका एक मात्र इलाज है। इसके लिए एक समग्र योजना बनाने की आवश्यकता है। प्रो. जेएस ठाकुर, प्रोफेसर, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ पीजीआई।
कैंसर को रोकने के लिए हमें थोड़ा सजग रहने की जरूरत है। मेरी लोगों से अपील है कि वे अपने आपको फिट रखें। व्यायाम के लिए कुछ समय जरूर निकालें। खान-पान की अच्छी आदत विकसित करें। छोटे-छोटे सेंटर में कैंसर की जांच के लिए व्यवस्था भी करनी होगी। -प्रो. जगतराम, निदेशक पीजीआई।
ब्रेस्ट व सरविक्स कैंसर की रोकथाम के लिए महिलाओं को समय पर जांच करानी होगी। इसके लिए कैंसर के लक्षण पर नजर रखनी होगी। पुरुषों में फेफड़े का कैंसर बढ़ा है। इसके लिए स्मोकिंग व हुक्का बार एक कारण हो सकता है। हमें स्कूल व कॉलेज स्तर पर इस बारे में जागरूकता लानी होगी। क्योंकि स्मोकिंग की आदत स्कूल व कॉलेज स्तर पर ही पड़ती है। -डा. गौरव प्रकाश, मेडिकल आंकोलाजिस्ट पीजीआई।
आरामपरस्त जीवनशैली का खामियाजा अब चंडीगढ़ और मोहाली के लोग भुगतने लगे हैं। हाल ही में पीजीआई व मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल की ओर से जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री के सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कामकाजी महिलाओं के मुकाबले गृहिणियों में कैंसर का खतरा ज्यादा है। साल 2015-16 में दर्ज किए महिलाओं के कुल मामलों में 78 फीसदी गृहिणियां कैंसर से पीड़ित थीं जबकि इनके मुकाबले कामकाजी महिलाओं में खतरा कम दिखा है।
चंडीगढ़ में कुल 893 महिलाएं कैंसर पीड़ित थीं। इनमें से 78.5 फीसदी गृहिणियां थीं। इसी तरह मोहाली में कुल 902 महिलाएं कैंसर पीड़ित थीं, जिनमें 79 फीसदी गृहिणियां हैं। इनमें कैंसर क्यों बढ़ा है? यह तो मेडिकल स्टडी के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि कामकाजी महिलाओं के मुकाबले गृहिणियों के बीच जागरूकता थोड़ी देरी से पहुंचती है।
पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर जेएस ठाकुर का कहना है कि कैंसर के कई कारण होते हैं। इनमें से प्रमुख कारण व्यायाम नहीं करना और खान-पान की गलत आदत हो सकती है। तनाव भी इनमें से एक कारण हो सकता है। चंडीगढ़ में हाईपरटेंशन की दर भी अधिक है।
चंडीगढ़ के 42 फीसदी सरकारी कर्मचारी भी पीड़ित
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015-16 में चंडीगढ़ के कुल 907 पुरुषों में कैंसर पाया गया। इनमें से 384 यानी करीब 42.3 फीसदी सरकारी कर्मचारी हैं जबकि 12.4 फीसदी सरकारी कामकाजी महिलाएं हैं। मोहाली में भी दूसरे वर्गों के मुकाबले सरकारी मुलाजिमों की संख्या ज्यादा पाई गई है।
मोहाली के 31 फीसदी पुरुष सरकारी कर्मचारी कैंसर से पीड़ित दर्ज किए गए। इस संबंध में प्रो. जेएस ठाकुर का कहना है कि ऐसा कोई वर्ग नहीं, जिसमें कैंसर न फैल रहा हो। किसी में ज्यादा हो सकता है तो किसी में कम। यह नहीं कहा जा सकता है कि सिर्फ एक वर्ग के लोगों में कैंसर हो रहा है। इसके लिए यूटी प्रशासन को एक समग्र योजना बनाने की जरूरत है, ताकि लोगों को कैंसर से निजात मिल सके।
सेक्टर 38 वेस्ट व मनीमाजरा में सबसे ज्यादा केस
साल 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक मनीमाजरा/इंदिरा कालोनी में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज दर्ज किए गए। यहां पर 155 केस आए जबकि 65 लोगों की मौत हुई। यही हालात सेक्टर 38 व वेस्ट में 106 केस दर्ज किए गए, जबकि 43 लोगों की मौत हुई। मौलीजागरां में कैंसर के 77 केस रिकॉर्ड हुए, जबकि 38 लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञ का कहना है कि यहां की आबादी अन्य इलाकों के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में यहां मरीजों की संख्या भी ज्यादा दर्ज की गई है।
यह रिपोर्ट एक तस्वीर दिखाती है, जो भयावह है। चंडीगढ़ में कैंसर के केस बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। कैंसर की जल्दी पहचान ही इसका एक मात्र इलाज है। इसके लिए एक समग्र योजना बनाने की आवश्यकता है। प्रो. जेएस ठाकुर, प्रोफेसर, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ पीजीआई।
कैंसर को रोकने के लिए हमें थोड़ा सजग रहने की जरूरत है। मेरी लोगों से अपील है कि वे अपने आपको फिट रखें। व्यायाम के लिए कुछ समय जरूर निकालें। खान-पान की अच्छी आदत विकसित करें। छोटे-छोटे सेंटर में कैंसर की जांच के लिए व्यवस्था भी करनी होगी। -प्रो. जगतराम, निदेशक पीजीआई।
ब्रेस्ट व सरविक्स कैंसर की रोकथाम के लिए महिलाओं को समय पर जांच करानी होगी। इसके लिए कैंसर के लक्षण पर नजर रखनी होगी। पुरुषों में फेफड़े का कैंसर बढ़ा है। इसके लिए स्मोकिंग व हुक्का बार एक कारण हो सकता है। हमें स्कूल व कॉलेज स्तर पर इस बारे में जागरूकता लानी होगी। क्योंकि स्मोकिंग की आदत स्कूल व कॉलेज स्तर पर ही पड़ती है। -डा. गौरव प्रकाश, मेडिकल आंकोलाजिस्ट पीजीआई।