डॉ. गुरु और मोहम्मद अमजद।
- फोटो : अमर उजाला
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चंडीगढ़ के दो कोरोना योद्धाओं की चर्चा आज देशभर में हो रही है। इन दोनों कोरोना योद्धाओं के जज्बे को खुद महानायक अमिताभ बच्चन ने सलाम किया और उनकी कहानी लोगों को बताई। यह कोरोना योद्धा हैं स्वरमनी फाउंडेशन के सहायक संस्थापक मोहम्मद अमजद और पीजीआई के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर गुरु।
रविवार शाम मुंबई में हुए एक निजी कार्यक्रम के दौरान अमिताभ बच्चन ने इन योद्धाओं के जज्बे और हौसले को देश के सामने रखा। 26/11 मुंबई हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से कुछ चुनिंदा कोरोना योद्धाओं की कहानी बताई गई।
अमिताभ बच्चन ने कहा कि रेडक्रॉस के कर्मचारियों ने जब कोरोना मृतकों का शव उठाने से इंकार कर दिया तब मोहम्मद अमजद और उनकी टीम ने कोरोना मृतकों के शव उठाए और सम्मान के साथ उन्हें श्मशान घाट तक पहुंचाया और कोरोना के नियम के तहत उनका अंतिम संस्कार कराया। डॉक्टर गुरु ने 9 माह तक बिना अवकाश लिए कोरोना पीड़ितों की सेवा की। ड्यूटी सिर्फ आठ घंटे की होने के बावजूद वह 24 घंटे मरीजों की सेवा में तत्पर रहे।
पिता के साथ दुकान पर बैठते है, फोन आते ही शव उठाने चल देते थे
कोरोना योद्धा मोहम्मद अमजद बलटाना (जीरकपुर) में रहते हैं। उन्होंने बताया कि यहां उनके पिता की दुकान है और वह चंडीगढ़ में बीए (अंतिम वर्ष) के छात्र हैं। अमजद ने बताया कि कोरोना काल में दुकान चलाना मुश्किल हो रहा था। रेडक्रॉस से जानकारी मिली कि कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमित शव उठाने से मना कर दिया है। कुछ स्वयंसेवक चाहिए। इसके बाद हमारी संस्था स्वरमनी ने इसके लिए हाथ बढ़ा दिया। जब भी फोन आता तत्काल शव उठाने के लिए निकल पड़ते। इस काम मे परिजनों का पूरा सहयोग मिला।
तबीयत ठीक नहीं थी, फिर भी दवा खाकर जाते थे अस्पताल
कोरोना योद्धा पीजीआई के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर गुरु ने जुलाई 2019 में पीजीआई में ज्वाइन किया था। ओडिशा निवासी डॉ. गुरु के परिवार को जनवरी 2020 में चंडीगढ़ आना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण परिवार यहां नहीं आ सका। इसके बाद डॉ. गुरु 9 माह तक बिना किसी छुट्टी के काम करते रहे। अब वह मंगलवार को अपने बच्चे से मिलेंगे। डॉ. गुरु ने बताया कि एक दिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। उन्होंने मेल किया कि आज वह अस्पताल नहीं आएंगे। दवा खा कर सो गए। थोड़ा ठीक महसूस किया तो मन नहीं माना और अस्पताल आ गए। उनके इसी जज्बे के कारण महानायक ने उनकी प्रशंसा की।
चंडीगढ़ के दो कोरोना योद्धाओं की चर्चा आज देशभर में हो रही है। इन दोनों कोरोना योद्धाओं के जज्बे को खुद महानायक अमिताभ बच्चन ने सलाम किया और उनकी कहानी लोगों को बताई। यह कोरोना योद्धा हैं स्वरमनी फाउंडेशन के सहायक संस्थापक मोहम्मद अमजद और पीजीआई के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर गुरु।
रविवार शाम मुंबई में हुए एक निजी कार्यक्रम के दौरान अमिताभ बच्चन ने इन योद्धाओं के जज्बे और हौसले को देश के सामने रखा। 26/11 मुंबई हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से कुछ चुनिंदा कोरोना योद्धाओं की कहानी बताई गई।
अमिताभ बच्चन ने कहा कि रेडक्रॉस के कर्मचारियों ने जब कोरोना मृतकों का शव उठाने से इंकार कर दिया तब मोहम्मद अमजद और उनकी टीम ने कोरोना मृतकों के शव उठाए और सम्मान के साथ उन्हें श्मशान घाट तक पहुंचाया और कोरोना के नियम के तहत उनका अंतिम संस्कार कराया। डॉक्टर गुरु ने 9 माह तक बिना अवकाश लिए कोरोना पीड़ितों की सेवा की। ड्यूटी सिर्फ आठ घंटे की होने के बावजूद वह 24 घंटे मरीजों की सेवा में तत्पर रहे।
पिता के साथ दुकान पर बैठते है, फोन आते ही शव उठाने चल देते थे
कोरोना योद्धा मोहम्मद अमजद बलटाना (जीरकपुर) में रहते हैं। उन्होंने बताया कि यहां उनके पिता की दुकान है और वह चंडीगढ़ में बीए (अंतिम वर्ष) के छात्र हैं। अमजद ने बताया कि कोरोना काल में दुकान चलाना मुश्किल हो रहा था। रेडक्रॉस से जानकारी मिली कि कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमित शव उठाने से मना कर दिया है। कुछ स्वयंसेवक चाहिए। इसके बाद हमारी संस्था स्वरमनी ने इसके लिए हाथ बढ़ा दिया। जब भी फोन आता तत्काल शव उठाने के लिए निकल पड़ते। इस काम मे परिजनों का पूरा सहयोग मिला।
तबीयत ठीक नहीं थी, फिर भी दवा खाकर जाते थे अस्पताल
कोरोना योद्धा पीजीआई के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर गुरु ने जुलाई 2019 में पीजीआई में ज्वाइन किया था। ओडिशा निवासी डॉ. गुरु के परिवार को जनवरी 2020 में चंडीगढ़ आना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण परिवार यहां नहीं आ सका। इसके बाद डॉ. गुरु 9 माह तक बिना किसी छुट्टी के काम करते रहे। अब वह मंगलवार को अपने बच्चे से मिलेंगे। डॉ. गुरु ने बताया कि एक दिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। उन्होंने मेल किया कि आज वह अस्पताल नहीं आएंगे। दवा खा कर सो गए। थोड़ा ठीक महसूस किया तो मन नहीं माना और अस्पताल आ गए। उनके इसी जज्बे के कारण महानायक ने उनकी प्रशंसा की।