न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Mon, 30 Nov 2020 09:58 PM IST
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पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों पर दर्ज केस तुरंत प्रभाव से वापस ले और गिरफ्तार किए गए नेताओं को रिहा करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस सरकार आते ही इन केसों को रद्द किया जाएगा। हुड्डा ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से हर वर्ग को अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का अधिकार है।
किसानों को गिरफ्तार कर या उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर, उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। जिस तरह हरियाणा सरकार के आदेश पर पुलिस ने घरों में घुसकर सोते हुए किसानों को गिरफ्तार किया, वह निंदनीय है। हुड्डा ने किसानों पर आंसू गैस और वाटर कैनन के प्रयोग को गलत बताया। महामारी के इस दौर में कड़कड़ाती ठंड और खुले आसमान के नीचे अपना घर छोड़कर निकले किसानों पर ठंडे पानी की बौछारें बरसाना मामूली नहीं, बल्कि अमानवीय कार्रवाई है।
मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि बुजुर्ग और दिव्यांग किसान भी जिस आंदोलन का हिस्सा हों, उस पर आंसू गैस का इस्तेमाल कितना घातक साबित हो सकता है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जा रहे थे। वो हरियाणा सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं कर रहे थे और ना ही वो हरियाणा में किसी तरह का धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग केंद्र सरकार से थी। ऐसे में हरियाणा सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है कि वो किसानों को अपनी राजधानी में जाने से रोके। बावजूद इसके सरकार ने किसानों को रोकने के लिए हर हथकंडा अपनाया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में जो बातें की हैं, वे बेबुनियाद है। इस वजह से भाजपा सरकार फौरन बिना शर्त कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत करे और ये कृषि विरोधी काले कानून वापस ले। सैलजा ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात करने वाली केंद्र सरकार भाजपा शासित प्रदेशों में किसानों की दुर्गति को देखे।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा में इस सीजन में बहुत से किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं मिल पाया है। किसानों की कई फसलें औने-पौने दामों पर बिकीं और उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। सैलजा ने कहा कि प्रधानमंत्री बताएं कि कृषि कानूनों को पास करने से पहले किसानों से बातचीत क्यों नहीं की गई, क्यों विपक्ष की आवाज नहीं सुनी गई।
आखिर क्यों शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों पर उनकी सरकार अत्याचार कर रही है। आखिर क्यों इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं दी गई। आखिर क्यों सरकार किसानों से बातचीत के लिए शर्त रख रखी है। सरकार इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की किसानों की मुख्य मांग पर क्यों चुप्पी साधे हुए है। किसानों के खिलाफ केस दर्ज भी वापस लिए जाएं और बिना शर्त किसानों से बातचीत शुरू की जाए।
सार
- हुड्डा ने कहा- प्रदेश सरकार ने वापस नहीं लिए केस तो हमारी सरकार बनते ही खारिज होंगे
- पूर्व मुख्यमंत्री बोले- किसानों पर वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल अमानवीय कार्रवाई
विस्तार
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों पर दर्ज केस तुरंत प्रभाव से वापस ले और गिरफ्तार किए गए नेताओं को रिहा करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस सरकार आते ही इन केसों को रद्द किया जाएगा। हुड्डा ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से हर वर्ग को अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का अधिकार है।
किसानों को गिरफ्तार कर या उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर, उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। जिस तरह हरियाणा सरकार के आदेश पर पुलिस ने घरों में घुसकर सोते हुए किसानों को गिरफ्तार किया, वह निंदनीय है। हुड्डा ने किसानों पर आंसू गैस और वाटर कैनन के प्रयोग को गलत बताया। महामारी के इस दौर में कड़कड़ाती ठंड और खुले आसमान के नीचे अपना घर छोड़कर निकले किसानों पर ठंडे पानी की बौछारें बरसाना मामूली नहीं, बल्कि अमानवीय कार्रवाई है।
मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि बुजुर्ग और दिव्यांग किसान भी जिस आंदोलन का हिस्सा हों, उस पर आंसू गैस का इस्तेमाल कितना घातक साबित हो सकता है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जा रहे थे। वो हरियाणा सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं कर रहे थे और ना ही वो हरियाणा में किसी तरह का धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग केंद्र सरकार से थी। ऐसे में हरियाणा सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है कि वो किसानों को अपनी राजधानी में जाने से रोके। बावजूद इसके सरकार ने किसानों को रोकने के लिए हर हथकंडा अपनाया।
भाजपा शासित प्रदेशों में हो रही किसानों की दुर्गति : सैलजा
कुमारी सैलजा ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में जो बातें की हैं, वे बेबुनियाद है। इस वजह से भाजपा सरकार फौरन बिना शर्त कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत करे और ये कृषि विरोधी काले कानून वापस ले। सैलजा ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात करने वाली केंद्र सरकार भाजपा शासित प्रदेशों में किसानों की दुर्गति को देखे।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा में इस सीजन में बहुत से किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं मिल पाया है। किसानों की कई फसलें औने-पौने दामों पर बिकीं और उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। सैलजा ने कहा कि प्रधानमंत्री बताएं कि कृषि कानूनों को पास करने से पहले किसानों से बातचीत क्यों नहीं की गई, क्यों विपक्ष की आवाज नहीं सुनी गई।
आखिर क्यों शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों पर उनकी सरकार अत्याचार कर रही है। आखिर क्यों इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं दी गई। आखिर क्यों सरकार किसानों से बातचीत के लिए शर्त रख रखी है। सरकार इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की किसानों की मुख्य मांग पर क्यों चुप्पी साधे हुए है। किसानों के खिलाफ केस दर्ज भी वापस लिए जाएं और बिना शर्त किसानों से बातचीत शुरू की जाए।